11 फ़रवरी, 2024

बहुत कुछ है बाक़ी - -

चश्म ए मयख़ाना के अलावा भी इक जहाँ है बाक़ी,

सारा शहर जल चुका ताहम दिले आशियां है बाक़ी,


इक अजीब सा जुनून है, अनदेखे हुए मसीहाई का,

जिस्म तो राख हुआ सिर्फ़ स्याह परछाइयां है बाक़ी,


यूँ तो वादा था कि हर चौखट पर होंगे चिराग़ रौशन,

अब और दुआ न दे बस कुछ सांसें दरमियां हैं बाक़ी,


न जाने कौन है, जो कांपते हाथों से दे रहा है दस्तक,

सर्द रात का सफ़र है कहने को कुछ घड़ियां हैं बाक़ी,


मुख़्तसर ज़िन्दगी में, अफ़सानों की कोई कमी न थी,

ख़ामोश पलों के बेशुमार अनकही कहानियां हैं बाक़ी,

- - शांतनु सान्याल


6 टिप्‍पणियां:

  1. भावपूर्ण शब्दावली
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 फरवरी 2024को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

    जवाब देंहटाएं
  2. खामोश पलों की अनकही कहानियाँ, दिल को छूने वाली

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past