रात गहराते ही निशि पुष्पों ने
वृन्त छोड़ दिया, हवाओं
की मनःस्थिति
समझना
आसान नहीं, गंध चुरा के फूलों
का सुबह से नाता जोड़ दिया।
कोई नहीं रुकता किसी
के लिए ये कटु
सत्य है,
उगते ही सूरज के अंधेरों से - -
रिश्ता तोड़ दिया। जीवन -
मरण का आलेख,
अनवरत धुंध
भरा,
इसीलिए जीवन वक्र को सीधे
राह मोड़ दिया। अब चाहे
कोई, जो भी समझे
कुछ अंतर नहीं,
जो मन
को करे अशांत ऐसी चाहत छोड़ -
दिया।
* *
- शांतनु सान्याल
वृन्त छोड़ दिया, हवाओं
की मनःस्थिति
समझना
आसान नहीं, गंध चुरा के फूलों
का सुबह से नाता जोड़ दिया।
कोई नहीं रुकता किसी
के लिए ये कटु
सत्य है,
उगते ही सूरज के अंधेरों से - -
रिश्ता तोड़ दिया। जीवन -
मरण का आलेख,
अनवरत धुंध
भरा,
इसीलिए जीवन वक्र को सीधे
राह मोड़ दिया। अब चाहे
कोई, जो भी समझे
कुछ अंतर नहीं,
जो मन
को करे अशांत ऐसी चाहत छोड़ -
दिया।
* *
- शांतनु सान्याल
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