जब समंदर की लहरों में आ जाए इक
ठहराव सा, और रात डूब चली
हो अंतहीन गहराइयों में,
तुम्हें पाता हूँ, मैं
बहोत क़रीब
अपने, तब जिस्म मेरा बेजान सा और
तुम फिरती हो कहीं मेरी परछाइयों
में। चाँदनी का लिबास ओढ़े
तुम खेलती हो मेरे
वजूद से यूँ
रात भर, गोया आसमां ओ बादलों के -
दरमियां, है कोई पुरअसरार
इक़रारनामा, किसी
लाफ़ानी ख़ुश्बू
की तरह
तुम बसती हो कहीं, मेरी रूह की अथाह
तन्हाइयों में - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
Clair De Lune, by Cyril Penny.jpg
ठहराव सा, और रात डूब चली
हो अंतहीन गहराइयों में,
तुम्हें पाता हूँ, मैं
बहोत क़रीब
अपने, तब जिस्म मेरा बेजान सा और
तुम फिरती हो कहीं मेरी परछाइयों
में। चाँदनी का लिबास ओढ़े
तुम खेलती हो मेरे
वजूद से यूँ
रात भर, गोया आसमां ओ बादलों के -
दरमियां, है कोई पुरअसरार
इक़रारनामा, किसी
लाफ़ानी ख़ुश्बू
की तरह
तुम बसती हो कहीं, मेरी रूह की अथाह
तन्हाइयों में - -
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- शांतनु सान्याल
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