हर नज़र जा के रूकती है उसी एक बिंदु पर,
कहने को हर एक का नज़रिया है अलगाना,
कहाँ तू भी है आज़ाद, दुनिया के बंधनों से -
मेरे जीवन का भी कहाँ है दीगर अफ़साना,
यक़ीनन हर कोई बह रहा है वक़्त के साथ,
किसे ख़बर कहाँ है सागर और कहाँ मुहाना,
दो काँटों के दरमियां है सिमटी हुई ज़िन्दगी,
मिलना बिछुड़ना तो है इक ख़ूबसूरत बहाना।
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
Glennda Field Fine Art.jpg 1
कहने को हर एक का नज़रिया है अलगाना,
कहाँ तू भी है आज़ाद, दुनिया के बंधनों से -
मेरे जीवन का भी कहाँ है दीगर अफ़साना,
यक़ीनन हर कोई बह रहा है वक़्त के साथ,
किसे ख़बर कहाँ है सागर और कहाँ मुहाना,
दो काँटों के दरमियां है सिमटी हुई ज़िन्दगी,
मिलना बिछुड़ना तो है इक ख़ूबसूरत बहाना।
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- शांतनु सान्याल
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