अचानक शाम की बारिश, और उसकी
पुरअसरार मुस्कराहट, ज़िन्दगी
तलाशती है, फिर जीने
की वजह, उस
भीगे
अहसास में उभरते हैं कुछ ख़्वाब - - -
ख़ूबसूरत ! लम्हा लम्हा इक
ख़ुमारी जो ले जाए किसी
शब गरेज़ान की
जानिब,
उसकी मुहोब्बत है पोशीदा बूंद कोई दर
मरकज़ गुल, जो रात ढले बन
जाए अनमोल मोती,
लिए सीने में
बेपायान
ख़ुशबू !
* *
- - शांतनु सान्याल
मरकज़ गुल - फूल के भीतर
बेपायान - अंतहीन
शब गरेज़ान- मायावी रात्रि
पुरअसरार मुस्कराहट, ज़िन्दगी
तलाशती है, फिर जीने
की वजह, उस
भीगे
अहसास में उभरते हैं कुछ ख़्वाब - - -
ख़ूबसूरत ! लम्हा लम्हा इक
ख़ुमारी जो ले जाए किसी
शब गरेज़ान की
जानिब,
उसकी मुहोब्बत है पोशीदा बूंद कोई दर
मरकज़ गुल, जो रात ढले बन
जाए अनमोल मोती,
लिए सीने में
बेपायान
ख़ुशबू !
* *
- - शांतनु सान्याल
मरकज़ गुल - फूल के भीतर
बेपायान - अंतहीन
शब गरेज़ान- मायावी रात्रि
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