ला उन्वान (untitled )
कि अजनबी बादलों का बरसना नहीं लाज़िम,
प्यासी ज़मीं, प्यासे लोग हर सिम्त ख़ामोशी !
है बेदर्द आसमान यहाँ, तड़पना नहीं लाज़िम,
हर आहट में कोई अपना ही हो ये ज़रूरी नहीं,
ग़ैरों के लिए भी कभी, बिखरना नहीं लाज़िम,
वो सवाल जो ख़ुद इक जवाब हो गहराई लिए,
क्यूँ बेवा सांझ का, फिर संवरना नहीं लाज़िम,
-- शांतनु सान्याल
Evening rain in London painting by David Atkins
हर आहट में कोई अपना ही हो ये ज़रूरी नहीं,
जवाब देंहटाएंग़ैरों के लिए भी कभी, बिखरना नहीं लाज़िम,...
बहुत उम्दा ख्याल है ... लाजवाब ...
lot of thanks dear friend
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