23 फ़रवरी, 2012



हमदर्द  कोई - - - 

हिज़ाब उठते ही हाकिम का चेहरा
जाने क्यूँ सर्द हुआ -

मुस्कराने की सज़ा बयां की थी 
हमने, सिर्फ़ इतनी सी थी बात,
दिल टूटा था हमारा लेकिन -
जाने उसके सीने में क्यूँ दर्द हुआ, 

वो देखते रहे मुझे मजरूह  -
निगाहों से यूँ बार बार , गोया 
सारा शहर पल भर में किसी 
आतिशफिशां के हाथ  सुपुर्द हुआ,

चाह कर भी किसी ने, न 
उठाई बुलंद आवाज़ उसके 
खिलाफ़, कहने को ये तमाम 
दुनिया लेकिन  मेरा हमदर्द हुआ,

- शांतनु सान्याल
 http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Earth - Bartosz Beda paint exhibition
Journey To The Center Of The Earth, Lagoon Reveal Concept Art.

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