उस एक बिंदु तक पहुँचने के लिए हर शख़्स
रहता है बेक़रार, कभी चाहता है ओढ़ना
इंद्रधनुषी पोशाक, सजल बूंदों के
चन्द्रहार, कभी गहन चुप्पी
और कभी उन्मुक्त
जल प्रपात, हर
एक चेहरे
के नेपथ्य में छुपे होते हैं अदृश्य प्रतिबिंब कई
हज़ार, उस एक बिंदु तक पहुँचने के लिए
हर शख़्स रहता है बेक़रार। उस क्षण
भंगुर ख़्वाब में है अज्ञात स्वर्ग
का कोई नाज़ुक अहसास,
या प्रणय सुधा की
प्यास, हर
एक सोच में रहती है किसी न किसी मंज़िल
की आस, अंदर का रहस्य होता है बहुत
गहरा, आंखें देखती हैं केवल फूलों
से सजा मुख्य द्वार, उस एक
बिंदु तक पहुँचने के लिए
हर शख़्स रहता है
बेक़रार। हम
बहुधा उसे
पा कर भी खो देते हैं, बहुत कठिन है अग्नि
वलय से हो कर गुज़रना, हर हाल में तै
है मुट्ठियों में बंद, मोह माया का
एक दिन बिखरना, अनंत
कालीन प्रयास से
कहीं जा कर
मिलता
है विश्वसनीयता का पुरस्कार, उस एक - -
बिंदु तक पहुँचने के लिए हर शख़्स
रहता है बेक़रार।
* *
- - शांतनु सान्याल
28 सितंबर, 2022
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंअनंत
जवाब देंहटाएंकालीन प्रयास से
कहीं जा कर
मिलता
है विश्वसनीयता का पुरस्कार,
वाह!!!
बहुत खूब ।
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
हटाएंवाह! गहन भाव लिए सराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंएक सोच में रहती है किसी न किसी मंज़िल
की आस, अंदर का रहस्य होता है बहुत
गहरा, आंखें देखती हैं केवल फूलों
से सजा मुख्य द्वार, उस एक
बिंदु तक पहुँचने के लिए... वाह!
असंख्य धन्यवाद मान्यवर / आदरणीया।
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