23 जनवरी, 2019

प्रथम स्पर्श - -


वो कच्ची उम्र की छुअन या निस्तब्ध पलों
में पीपल पात का हिलना, एक मख़मली
एहसास के साथ तुम्हारा वो बेबाक
हो के मिलना । काश लौट आएं
फिर वही सुबह शाम, मुन्तज़िर
निगाहों से हर पल मीठी
आग में सुलगना ।
वो कशिश
जो जीने की चाहत बढ़ा जाए, वो अंदाज़ ए
निगाह, जो ख़ुश्बू ए जज़्बात बढ़ा जाए,
दबे क़दमों से जैसे मौसम ए बहार,
उजड़ा शहर दोबारा, फूलों से
यूँ सजा जाए।
* *
- - शांतनु सान्याल
https://sanyalsduniya2.blogspot.com/

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