ज़िन्दगी में कहीं न कहीं, थोड़ा
बहुत अंतराल चाहिए,
नज़दीकियों के
अपने
अलग ही हैं कुछ नफ़ा नुक़सान,
फिर भी सर रखने के लिए
कोई कंधा हर हाल
चाहिए।
वजूद की असलियत कुछ और
थी, अक्स थे अर्थहीन,
जवाब हैं मुंतज़िर
लेकिन
कोई दमदार सवाल चाहिए। - -
उनकी बसीरत वो जाने,
हर चीज़ कहना
नहीं मुमकिन,
दुनिया
है फ़ानी तो रहे, दिल मगर - -
मालामाल चाहिए। चाँद
तारों को यूँ ही
आसमान
में रहने
दो अपनी जगह, दे सके रूह को
सुकूं ऐसा कोई ख़्वाब ओ
ख़्याल चाहिए।
* *
- शांतनु सान्याल
बहुत अंतराल चाहिए,
नज़दीकियों के
अपने
अलग ही हैं कुछ नफ़ा नुक़सान,
फिर भी सर रखने के लिए
कोई कंधा हर हाल
चाहिए।
वजूद की असलियत कुछ और
थी, अक्स थे अर्थहीन,
जवाब हैं मुंतज़िर
लेकिन
कोई दमदार सवाल चाहिए। - -
उनकी बसीरत वो जाने,
हर चीज़ कहना
नहीं मुमकिन,
दुनिया
है फ़ानी तो रहे, दिल मगर - -
मालामाल चाहिए। चाँद
तारों को यूँ ही
आसमान
में रहने
दो अपनी जगह, दे सके रूह को
सुकूं ऐसा कोई ख़्वाब ओ
ख़्याल चाहिए।
* *
- शांतनु सान्याल
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