06 सितंबर, 2014

शीशे के ख़्वाब - -

कोई पारदर्शी पंखों वाला ख़्वाब, अक्सर
मुझे ले जाता है बहोत दूर, इक
महाशून्य के बहोत अंदर,
जहाँ बसती है रंगीन
तितलियों की
ख़ूबसूरत
दुनिया, फूलों के आकाशगंगा, ज़िन्दगी
जहाँ झूलती है सप्तरंगी झूला,
हर चेहरे में है उभरती
ताज़गी, हर इक
छुअन में
जहाँ है मौजूद दुआओं का असर, इक - -
ऐसी दिलकश हक़ीक़त, जिसमें
बसते हैं ख़ालिस जज़्बात,
या यूँ कह लें जहाँ
हर दिल में,
कहीं न कहीं बसता है इक मासूम बच्चा,
और उसकी आँखों में उभरते हैं
मुक़द्दस सपने, जो गुमनाम
रह कर भी ज़िन्दगी
में रंग भरते हैं
बेशुमार।

* *
- शांतनु सान्याल
 

http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by samir mondal India

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