यूँ तो बदलते रहे रंग ओ
नूर ज़िन्दगी के,
बेअसर रहा
लेकिन
दिल ए किताब मेरा।
अंधेरों के खेल में
कहीं सहमा
सा है
उजाला, हर हाल में है
ताज़ा, वो पोशीदा
गुलाब मेरा।
मेरी
चाहतों का पैमाना
नहीं किसी के
पास, कहने
को
सिफ़र है उम्रभर का
दस्तयाब मेरा।
लिबास ओ
किरदार
से न
आँक वजूद, ऐ दोस्त,
रहने दे अपने पास
ये मुहोब्बत
बेहिसाब
मेरा।
चाहे कोई ख़ास हो
या आम, ये राह
है यक़ीनी,
कहीं न
कहीं मिल जायेगा वो
इश्क़ नायाब
मेरा।
* *
- शांतनु सान्याल
नूर ज़िन्दगी के,
बेअसर रहा
लेकिन
दिल ए किताब मेरा।
अंधेरों के खेल में
कहीं सहमा
सा है
उजाला, हर हाल में है
ताज़ा, वो पोशीदा
गुलाब मेरा।
मेरी
चाहतों का पैमाना
नहीं किसी के
पास, कहने
को
सिफ़र है उम्रभर का
दस्तयाब मेरा।
लिबास ओ
किरदार
से न
आँक वजूद, ऐ दोस्त,
रहने दे अपने पास
ये मुहोब्बत
बेहिसाब
मेरा।
चाहे कोई ख़ास हो
या आम, ये राह
है यक़ीनी,
कहीं न
कहीं मिल जायेगा वो
इश्क़ नायाब
मेरा।
* *
- शांतनु सान्याल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें