आधी रात, जब निस्तब्ध धरा
करे तारों से बात, सुनसान
सड़कों में घूमे कोई
ख़्वाबों का
फेरीवाला। आकाशगंगा तब
गलबहियां डाले ले जाना
चाहे मुझे, बहुत दूर,
जहाँ रहता है
इक
सतरंगी फिरकीवाला। उस -
इंद्रधनुषी हिंडोले में
जीवन पाए
नव
अनुभूति, तन - मन में उठे
तब इक अद्भुत हिलोर
करे इंद्रजाल सा
कोई नयन -
मदिरावाला ।
* *
- शांतनु सान्याल
करे तारों से बात, सुनसान
सड़कों में घूमे कोई
ख़्वाबों का
फेरीवाला। आकाशगंगा तब
गलबहियां डाले ले जाना
चाहे मुझे, बहुत दूर,
जहाँ रहता है
इक
सतरंगी फिरकीवाला। उस -
इंद्रधनुषी हिंडोले में
जीवन पाए
नव
अनुभूति, तन - मन में उठे
तब इक अद्भुत हिलोर
करे इंद्रजाल सा
कोई नयन -
मदिरावाला ।
* *
- शांतनु सान्याल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें