वेदना और मस्तिष्क के मध्य समझौता ही जीवन का खूबसूरत उपशम है,
जो नयन कोण में थम कर
जीने का राज़ कह जाए
वही बूंद असली
शबनम है,
वो टूट कर बिखर गया किसी आदिम
सितारे की तरह उसका ग़म है
बेमानी,जो दिखाई ही न
दे उसकी तलाश में
है ये सारी दुनिया,
जबकि मुझे
चाहने
वाला
मेरे दिल की गहराई में हरदम है, वो
डूब कर छूना चाहे मुक्ति द्वार के
कपाट, मैं ख़ुद से उभर कर
चाहता हूँ उसे छूना,
आसपास यूँ तो
कोई नहीं,
फिर
भी न जाने क्यूं लगता है, कोई तो यहां
हमक़दम है, हमारे दरमियान कुछ
भी नहीं गोपनीय, देह प्राण
सब कुछ है एकाकार,
एक अखण्ड
दहन में
जल
रहे हैं हम सभी, और हाथ तुम्हारे चिर
शांति का मरहम है, जो नयन
कोण में थम कर जीने
का राज़ कह जाए
वही बूंद असली
शबनम है ।।
- - शांतनु सान्याल