13 अक्टूबर, 2023

मानवता ही सत्य धर्म है - -

ये कैसी अजीब सी संवेदना है जो अपने
बच्चों तक आ कर रुक जाती है, ये
कैसी बर्बरियत है जो धर्म के
नाम पर दूसरों के बच्चों
का करते हैं क़त्लेआम,
ये कैसी इंसानियत
है जो निरीह
लोगों
की निर्मम हत्या करने के बाद उत्पीड़न
का रोना रोते हैं, ये कैसा अहंकार है
जो सारी पृथ्वी को अपना दास
बनाना चाहे, आम लोगों
के शवों को रौंध
कर शांति का
पाठ पढ़ाए,
सम्पूर्ण
विश्व
को चाहिए ऐसे आसुरी शक्ति से मुक्ति -
हर एक मानव को चाहिए जीने का
अधिकार, और इन पाशविक
शक्तियों से लड़ने के
लिए उन सभी
धर्मों को
एक
छत्र होना ही पड़ेगा ताकि इस दुनिया की
ख़ूबसूरती बनी रहे, जो मासूम बच्चों
का गला काटे वो मानव नहीं
नर पिचाश है उसका
अंत निश्चित
है - - -
- - शांतनु सान्याल


04 अक्टूबर, 2023

मिलन निश्चित है - -

फिर लौट आएंगे ठीक उसी जगह,

जहां शारदीय आकाश गले
मिलता है सफ़ेद कांस
फूलों से, कगार
से दूर धीरे
धीरे
नदी खिसकती जाती है छोड़ कर
रेत का अतीत, देह की गहनता
में कहीं आज भी धंसा हुआ
है लंगर शूल, विलुप्त
जंज़ीर कदाचित
पा जाए दूर
अटके
हुए
नाव को, फिर लौट आएंगे उसी
जगह एक दिन जहां घाट की
आख़री सीढ़ी पर तुमने
कहा था अलविदा,
अंतर्यात्रा का
कोई अंत
नहीं
बस पोशाक का है अनवरत बदलाव,
तुम प्रतीक्षा करो या न करो, लेकिन
तै है कहीं किसी अज्ञात मोड़ पर
हम ज़रूर मिल जाएंगे किसी
और रूप में, किसी और
योनि में, कदाचित
कुहासे भरे
बिहान
में सुदूर उड़ते हुए सारस बन कर या
आंगन में बिखरे हुए पारिजात
के मध्य विलीन ओस बूंद
बन कर, लेकिन
मिलना तो
निश्चित
है ।
- शांतनु सान्याल









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