ये कैसी अजीब सी संवेदना है जो अपने
बच्चों तक आ कर रुक जाती है, ये
कैसी बर्बरियत है जो धर्म के
नाम पर दूसरों के बच्चों
का करते हैं क़त्लेआम,
ये कैसी इंसानियत
है जो निरीह
लोगों
की निर्मम हत्या करने के बाद उत्पीड़न
का रोना रोते हैं, ये कैसा अहंकार है
जो सारी पृथ्वी को अपना दास
बनाना चाहे, आम लोगों
के शवों को रौंध
कर शांति का
पाठ पढ़ाए,
सम्पूर्ण
विश्व
को चाहिए ऐसे आसुरी शक्ति से मुक्ति -
हर एक मानव को चाहिए जीने का
अधिकार, और इन पाशविक
शक्तियों से लड़ने के
लिए उन सभी
धर्मों को
एक
छत्र होना ही पड़ेगा ताकि इस दुनिया की
ख़ूबसूरती बनी रहे, जो मासूम बच्चों
का गला काटे वो मानव नहीं
नर पिचाश है उसका
अंत निश्चित
है - - -
- - शांतनु सान्याल