08 सितंबर, 2015

आप साथ हो लिए - -

हम यूँ ही अपने आप में
 रूह ए  जज़्ब थे,
न जाने
किस मोड़ पे, आप साथ
हो लिए। सुरमयी
कोई शाम
थी या
मख़मली रात, न जाने -
किस पल दिल
अपना हम
खो
दिए। यूँ तो कम न थे
ज़िन्दगी में दर्द
ओ ग़म,
फिर
न जाने क्यूँ दर्द नया -
सीने में बो लिए।
अजीब सी
कैफ़ियत
है दिल
की आजकल कभी यूँ
ही हंस लिए कभी
बेवजह रो
लिए।

* *
- शांतनु सान्याल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past