शायद उसने सोचा था, कि उसके बग़ैर
मेरी ज़िन्दगी, इक ठूंठ से कुछ
कम न होगी, लेकिन
ऐसा कभी नहीं
होता, हर
ज़ख्म
का इलाज है मुमकिन, पतझड़ के बाद
बहार का लौटना है मुक़र्रर, इक
दिल ही टूटा था वरना हर
शै थी अपनी जगह
बतौर मामूल !
सो हमने
भी दर्दो ग़म से समझौता सीख लिया -
सूखे पत्तों की थीं अपनी क़िस्मत,
या उम्र का तक़ाज़ा, जो भी
कह लीजिए, शाख़
से गिरना था
तै इक
दिन, कोंपलों की है अपनी दुनिया, हर
हाल में था उन्हें उभरना, चुनांचे
हमने भी मौसमी हवाओँ
से बख़ुदा, दोस्ती
करना सीख
लिया,
ये सच है कि तेरी मुहोब्बत इक नेमत
से कम न थी, फिर भी हर हाल
में हमने जीना सीख
लिया।
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by Karen Margulis
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE3pmKbt8crrgi2LA9WZlx7w9vAgo-74QY3kqbQ6B1wqkJMnUR3ts_SauHXtg_k7Pd6gE_4iQ5m6f357NMUogKqqq6MDsir6cor7SlNBemYwaeFxnTM91RGLr2RHCsvtcUWCT1AkrsybVA/s1600/012.JPG
मेरी ज़िन्दगी, इक ठूंठ से कुछ
कम न होगी, लेकिन
ऐसा कभी नहीं
होता, हर
ज़ख्म
का इलाज है मुमकिन, पतझड़ के बाद
बहार का लौटना है मुक़र्रर, इक
दिल ही टूटा था वरना हर
शै थी अपनी जगह
बतौर मामूल !
सो हमने
भी दर्दो ग़म से समझौता सीख लिया -
सूखे पत्तों की थीं अपनी क़िस्मत,
या उम्र का तक़ाज़ा, जो भी
कह लीजिए, शाख़
से गिरना था
तै इक
दिन, कोंपलों की है अपनी दुनिया, हर
हाल में था उन्हें उभरना, चुनांचे
हमने भी मौसमी हवाओँ
से बख़ुदा, दोस्ती
करना सीख
लिया,
ये सच है कि तेरी मुहोब्बत इक नेमत
से कम न थी, फिर भी हर हाल
में हमने जीना सीख
लिया।
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
art by Karen Margulis
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjE3pmKbt8crrgi2LA9WZlx7w9vAgo-74QY3kqbQ6B1wqkJMnUR3ts_SauHXtg_k7Pd6gE_4iQ5m6f357NMUogKqqq6MDsir6cor7SlNBemYwaeFxnTM91RGLr2RHCsvtcUWCT1AkrsybVA/s1600/012.JPG