03 अगस्त, 2024

दिल का सुकून - -

कहने को हम सभी लोग हैं एक ही 

शहर के बाशिन्दे, ये और बात 

है कि दिल से मिलने की 

कोशिश नहीं होती,

न जाने कितने 

मोड़ से 

मिलता है ये एक अदद रास्ता, नीले 

दरीचे से झाँकते हैं बादल, पर 

बारिश नहीं होती, एक ही 

छत के नीचे यूँ तो 

गुज़र जाती है 

सारी ज़िंदगी,

अंतिम 

पल कुछ देर रुक जाने की गुज़ारिश 

नहीं होती,ज़रा सी बात पर न 

टूटे नाज़ुक दिलों के महीन 

से धागे, रहे लब 

ख़ामोश 

लफ़्ज़ों से इश्क़ ए नुमाइश नहीं होती,

ताउम्र भटका किए, ताहम ख़्वाबों 

का सफ़र है अधूरा, दिल की

गहराइयों में जो अक्स

उतरे बाद उसके

कोई और

ख़्वाहिश

नहीं

होती ।

- - शांतनु सान्याल




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