02 जून, 2016

ख़बर कोई - -

बहोत दूर छूट गए वो तमाम
अतीत की वादियां, निगाहे
हद तक हैं बिखरे
बादलों की
परछाइयाँ ।
नया सफ़र है उभरता हुआ
धुंध भरी राहों में कहीं,
फिर तुमने सजा
दी है मेरी
बेजान सी तन्हाइयाँ। हवाओं
में फिर है मद्धम, सजल -
मानसूनी ख़बर ,
पीपल पातों
में है छुपी
फिर सावन की सरगोशियाँ।

* *
- शांतनु सान्याल
 

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