19 अगस्त, 2023

इस छोर से उस अंत तक - -


सूरज की है अपनी ही -
मजबूरी, शाम से
पहले उसका
डूबना है
ज़रूरी। जीवन की नाव,
और अंतहीन बहाव,
फिर भी घाट
तक
पहुंचना है ज़रूरी। जले
हैं मंदिर द्वार के
दीप, गहन
अंधकार
है बहुत समीप, फिर भी,
किसी तरह से अंतर्मन
को छूना है
ज़रूरी।
मल्लाह और किनारे के
दरमियान, शायद था
कोई अदृश्य
आसमान,
इस
छोर से उस अंत तक,
हर हाल में जीवन
का बहना है
ज़रूरी।

* *
- शांतनु सान्याल

2 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 अगस्त 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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