19 दिसंबर, 2013

कभी तो आ मेरी ज़िन्दगी में - -

कभी तो आ मेरी ज़िन्दगी में अबाध -
पहाड़ी नदी की तरह, कि है मेरा
वजूद बेक़रार, मुक्कमल
बिखरने के लिए,
धुंध में डूबे
रहें दूर
तक, दुनिया के तमाम सरहद, कभी -
तो आ मेरी ज़िन्दगी में परिन्दा
ए मुहाजिर की तरह, कि
है मेरी मुहोब्बत ज़िंदा
तुझ पे सिर्फ़
मिटने
के लिए, उठे कहीं शोले ए आतिश - -
फ़िशां, या हो बुहरान ज़माने
के सीने में, कभी तो आ
मेरी ज़िन्दगी
में किसी
दुआ ख़ैर की तरह, है बेताब दिल - -
मेरा इश्क़ में, यूँ ही ख़ामोश
सुलगने के
लिए !

* *
- शांतनु सान्याल


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