10 मई, 2013

तहे दिल आईना - -

वो आज भी खड़ा है उसी मोड़ पर, जहाँ 
कभी थीं आबाद बस्तियां, कशिश 
दिल की जाती नहीं, बदल 
जाए चाहे ज़माना 
जितना,
वो इंतज़ार जो सांस से बंधा हो ताउम्र,
बहोत मुश्किल है उसका राह 
बदलना, मुहाजिर 
जज़्बात की 
अपनी 
है कहानी, मंज़िल दर मंज़िल इक - - 
सफ़र अंतहीन, चेहरा दर 
चेहरा अक्स उसका,
हर मुस्कान पे 
झलक 
उसकी, वो पोशीदा रह कर भी हो - - - 
शामिल, तहे दिल आईना !
* * 
- शांतनु सान्याल 
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
amazing painting by RASSOULI

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