16 जनवरी, 2013

शब मोहोम - -

ये शब मोहोम है, या मेरी आँखों में किसी ने 
तिलिस्म भर दिया, ये कैसा वहम छाया 
कि थम चली है, सारी ख़ुदायी, न 
जागे से हैं मेरे जज़्बात, न 
सोयी सी ये तन्हाई, 
न जाने किस 
मोड़ पर 
आ गई ज़िन्दगी, वो सनम है या कोई हक़िक़ी -
ख़्वाब की सूरत, हर क़दम इक राज़ 
गहरा, हर लम्हा कोई लहराती 
सराब, हर जानिब इक 
सदा बाज़गश्त !
उनकी 
निगाहों में कहीं तैरती हैं, मेरी साँसों की बेशुमार 
रंगीन कश्तियाँ - - 
* * 
- शांतनु सान्याल 
शब मोहोम - मायावी रात 
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/

on Snowy Night Painting by Sabrina Zbasnik 

3 टिप्‍पणियां:

  1. इन सिकारों के रंगे-स़ाज कर सवारूँ कैसे..,
    निगाहें-आब की हस्ती नहीं होती..,
    फिर ये नीम शबे-गिर्द अराबा..,
    हदे-बंदी पे शोर-शराबा..,
    फ़ाख्ता रंग में..,
    जंगजू..,
    कहीं गश्ती में मशरूफ ये मेरी तन्हाई..,
    नींद भी तफ्तीश में चौंकी भरे है..,
    ख़्वाब गलताँ व पेंचा है..,
    निगाहें मशगुल हैं..,
    निगेहबानी में..,
    चमन..,
    शस्स्स्स सोये हुवे हैं चमन बंदी के गुलनार..,
    बेखौफ़ दरिखानों में.....

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