20 जुलाई, 2012


दो ध्रुवों के मध्य 

उस शीर्ष बिंदु और शून्य धरातल के मध्य 
था अंतर बहुत कम, सूर्य का उत्थान 
व पतन, दोनों ही जगह थे 
लालिमा मौजूद,
उभरना 
फिर डूबना, नियति का संविधान सदैव -
अपरिवर्तित, कुछ भी चिरस्थायी 
नहीं, उद्गम में ही छुपा था 
अंत अदृश्य, उस मोह 
में थे लक्ष भंवर,
हर मोड़ पर 
नया 
रहस्योद्घाटन, कभी अन्तरिक्ष पथ पर 
हृदय उड़ान, कभी अनल  भस्मित
जीवन अवसान, उन दो ध्रुवों 
के बीच थे अंतहीन 
अभिलाष, एक 
गंधित 
श्वास, दूजा विलुप्त गामी दीर्घ निःश्वास !

- शांतनु सान्याल 
artist Diane Maxey
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/

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