19 जून, 2012


दिल से उठती है जो आह, उसका असर न पूछ 
जाती है, वो हमराह ताउम्र, जहाँ तक 
तू जाए, फिरदौस हो या आतिशे 
दर्रा, हर मक़ाम पे वो दर 
तेरा खटखटाए, 
मुमकिन है 
ताक़त से 
जीत जाए कोई दुनिया, लाज़िम नहीं  दिलों में 
हुकूमत करना - - - 
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
mysterious night gate 

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