09 अप्रैल, 2012

नज़्म ( اردو عبارت کے ساتھ )तिश्नगी

कुछ और वजह होगी भूल जाने की, वो शख्स 
कभी था वाबस्ता ज़िन्दगी से, आसां
कहाँ ज़मीर को दग़ा देना, इक 
आग बुझा दिल में फिर 
दोबारा आग लगा 
लेना, वो 
कोई 
राज़ लिए सीने में भटकता है सहरा सहरा, 
मुमकिन कहाँ जहाँ में, हर क़दम 
पे गुमनाम चश्मों का उभर 
आना, वो इक ऐसी 
तिश्नगी है 
जो 
लब से उठती है ख़ामोश, रूह पे होती तमाम,
बहुत ही मुश्किल मेरे अहबाब - ए -
जावदाँ, सांसों का जिस्म 
से जुदा होना - - 

- शांतनु सान्याल 
نظم 
کچھ اور وجہ ہوگی بھول جانے کی، وہ شخص
کبھی تھا وابستہ زندگی سے، آساں
کہاں ضمیر کو دغا دینا، اک
آگ بجھا دل میں پھر
دوبارہ آگ لگا
لینا، وہ
کوئی
راز لئے سینے میں بھٹكتا ہے صحرا صحرا،
ممکن کہاں جہاں میں، ہر قدم
پہ گمنام چشموں کا ابھر
آنا، وہ اک ایسی
تشنگي ہے
جو
لب سے اٹھتی ہے خاموش، روح پہ ہوتی تمام،
بہت ہی مشکل میرے احباب - اے -
جاوداں ، سانسوں کا جسم
سے جدا ہونا -

- شانتنو سانیال 
painting by Barbara Fox

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